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खौफ भाग -1

"नहीं " और जोर से शालू की चीख निकल पड़ी । शालू की सांसें बहुत तेज चल रही थी । दिल की धड़कन धौंकनी की तरह "धक धक" धड़क रही थी । वह सिर से पांव तक पसीने से भीगी हुई थी । प्यास के मारे गला सूख गया था । जीभ तालू से चिपक गई थी । डर के मारे बदन थर थर कांप रहा था । 

इतने में शालू उर्फ शालिनी की मम्मी दौड़ती हुई उसके पास आई और आश्चर्य से पूछा 
"क्या हुआ बेटे ? क्यों चीख रही थी ? क्या बात हो गई " ? 

शालू से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था । वह अभी भी कांप रही थी । बोलने की स्थिति में थी ही नहीं वह । उसकी ऐसी दशा देखकर मम्मी ने उसे अपने सीने से लगा लिया । मम्मी का सहारा मिला तो उसकी कंपकंपी भी कुछ कम हुई । सांसें भी नियंत्रित होने लगी थी । धड़कनों की रफ्तार भी धीमी हो गई थी । मम्मी ने उसके चेहरे, बालों और पीठ पर हाथ फिराते हुए कहा 
"क्या हुआ मेरे बच्चे को ? कोई बुरा सपना देखा था क्या" ? 

शालू के लब हिलने को हुए मगर इतनी शक्ति नहीं थी कि हिलकर बता दें कि क्या हुआ था । इसलिए उसने गर्दन का सहारा लिया और गर्दन हां की मुद्रा में हिलाकर बता दिया कि एक बुरा सपना देखा था उसने । 

"क्या देखा सपने में मेरी बेटी ने ? कोई भूत प्रेत देख लिया था क्या" ? 
"नहीं, भूत प्रेत नहीं देखा । देखा तो एक आदमी ही था मगर वह दरिंदा लग रहा था" । 

मम्मी कुछ देर सोचती रही फिर कहा "क्या सपने में उसने कुछ ...." । शालू की आंखों में देखकर मम्मी ने पूछा । 

अब शालू कैसे बताये कि उसनें सपने में क्या देखा ? उसने देखा कि एक राक्षसनुमा आदमी की दो हवसी आंखें उसे घूर रही थीं और उसके दोनों वहशी हाथ उसके सीने की ओर बढ़ रहे थे । इतने में ही उसकी नींद खुल गई । 
"सपने में तेरे साथ किसी राक्षस ने कुछ गलत किया था क्या" ? 
"किया तो नहीं मगर करने की कोशिश जरूर कर रहा था । इतने में मेरी चीख निकल गई" । बड़ी मुश्किल से वह इतना ही कह पाई थी । 

"ठीक है । भूल जा उस डरावने सपने को । कभी कभी ऐसे डरावने सपने आते हैं । हम स्त्रियों को जवानी के दिनों में ऐसे डरावने सपने खूब आते हैं । जैसे कोई हमारा पीछा कर रहा है । कोई हमें "छू" रहा है । या कोई हमारे साथ ज्यादती कर रहा है । जब कभी हमारे मन में किसी से कोई डर बैठा हो तब ऐसे सपने आते हैं । ऐसा करते हैं कि अब मैं तेरे पास सो जाती हूं । ठीक है" ? 

शालू धर्मसंकट में फंस गई । वह चाहती तो थी कि मम्मी उसके पास सोये मगर वह यह भी नहीं चाहती थी कि मम्मी पापा और नकुल को छोड़कर इधर सोये । हिम्मत करके उसने कहा "नहीं, मैं सो जाऊंगी मम्मी । उधर पापा और नकुल भी तो हैं ना । आप वहां चली जाओ , मैं यहां सो जाऊंगी" । 
"कोई बात नहीं बेटे, एक दिन मैं इधर सो जाऊंगी तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा" ? 
"नहीं मम्मी, मैं अकेली सो जाऊंगी । अब कोई बच्ची थोड़े ना हूं मैं" ।
"अच्छा , तो ठीक है । पर अगर फिर से कोई बात हो तो मुझे आवाज देना" । और मम्मी अपने कमरे में सोने चली गई । 

शालू ने एक गिलास पानी पिया । गले को थोड़ा चैन मिला । वह वाशरूम जाने के लिए खड़ी हुई कि अचानक वह वहीं बैड पर धम्म से गिर पड़ी । पता नहीं उसे ऐसा लगा कि जो आदमी अभी उसने सपने में देखा था वही आदमी वाशरूम में छिपा बैठा है । यह सोचकर ही उसके बदन में सिहरन उभर गई । 

एक बार तो उसने वाशरूम जाने का मन बनाया भी था लेकिन उसकी  हिम्मत जवाब दे गई । वह अपने प्रेशर को मारकर बैड पर लेट गई । प्रेशर को मारने की हैबिट महिलाओं में खूब अच्छे से होती है क्योंकि जगह जगह साफ वाशरूम मिलते नहीं हैं तो फिर लेडीज़ क्या करें ? प्रेशर को ही रोक कर रखती हैं । इसलिए उनको यूरोलॉजी से संबंधित समस्याएं भी खूब होती हैं । 

वह सोने का प्रयास करने लगी । मगर नींद उसकी आंखों से सौ सौ कोस दूर थी । पास था तो वह एक भयानक सा कठोर चेहरा । बड़ी बड़ी मूंछें, मवालियों जैसी दाढ़ी । शूल सी चुभती आंखें । अंतडियों को कंपा देने वाली उसकी हंसी । लंबा चौड़ा बदन । ऐसा लग रहा था कि वह दुष्ट उसे एक पल में मसल कर रख देगा । 

उसे आज का सारा वाकया स्पष्ट याद आ गया था । किस तरह वह अपनी  एक्टिवा से अपने कॉलेज जा रही थी । रास्ते में उसे अपनी सहेली दिव्या को पिक करना था । उसके घर के सामने वह रुक कर उसका इंतजार कर रही थी । इतने में एक आदमी वहां से मोटरसाइकिल से गुजरा । शालू का ध्यान तो केवल दिव्या के आने पर लगा हुआ था इसलिए वह उस आदमी को देख नहीं पाई थी । थोड़ी देर में वह आदमी वापस आया और उसकी एक्टिवा के सामने अपनी मोटरसाइकिल खड़ा करके उसे घूरने लगा । शालू को उसकी यह हरकत बहुत गंदी लग रही थी । मन तो कर रहा था कि एक चांटा जड़ दें उसके गाल पर मगर मम्मी ने मना किया था कि चौराहों पर या बाजार में झगड़ा नहीं बढ़ाना है । झगड़े से बचकर चुपके से निकल आना है । इसलिए वह चुप ही रही । 

उसने उसे पहली बार भरपूर नजर से देखा । चेहरा कितना सख्त था, पत्थर की तरह । आंखों से जैसे शोले बरस रहे हों । होठों पे एक मुस्कान जैसे कि वह उसे कच्चा चबा जायेगा । शालू उसे देखकर ऊपर से नीचे तक कांप उठी । "पता नहीं कौन है ये शैतान की औलाद और मुझसे क्या चाहता है" ? ऐसे अनेक विचार उसके दिमाग में चल रहे थे । वह कुछ और.सोचती इससे पहले ही दिव्या आ गई और फिर  दिव्या को देखकर बिना कुछ कहे सुने वह आदमी वहां से चला गया । 

"बदतमीज कहीं का" । शालू के होठों से बरबस निकल गया 
"कौन ? जग्गा" ? दिव्या ने शालू से पूछा । 
"वो मोटरसाइकिल वाला आदमी" ? 
"हां, वही । उसका नाम जग्गा है । कॉलोनी का गुंडा है वह । सब लोग बहुत डरते हैं उससे । नामी गिरामी , छंटा बदमाश है । सब तरह के "गुण" भरे पड़े हैं उसमें । सट्टा, जुआ, शराब वगैरह का काम करता है । पूरे एरिया में बहुत दबदबा है इसका । थानेदार से यारी है और क्षेत्रीय विधायक के बहुत नजदीक है" । 
"अच्छा ! और क्या क्या खासियत है इस बंदर की" ? शालू यह कहकर हंसी । 
"धीरे बोल पगली , कोई सुन लेगा तो अनर्थ हो जाएगा । ये बहुत बड़ा हरामी है साला । एक नंबर का औरतखोर । पूरे मौहल्ले की लड़कियां, बहुएं इसके सामने जाने से कतराती हैं" । दिव्या ने फुसफुसाते हुये कहा । 

ये वाली बात सुनकर शालू की हंसी पर ब्रेक लग गये । चेहरे पर खौफ उभर आया । दोनों सहेलियां बिना कुछ बोले सीधे कॉलेज चल दीं । 

शालू को वह घटना याद आ गई । किस तरह वह सो रही थी कि उसने एक सपना देखा । सपने में वह सो रही थी । अचानक दो हाथ उसकी ओर बढे । वह उनसे बचने के लिये पीछे सरकने लगी । अचानक उसकी पीठ पीछे दीवार से सट गई । वे दोनों हाथ लगातार उसकी ओर बढ़ रहे थे । उसने पहली बार जब उसके चेहरे को देखा तो उसकी जोर से चीख निकल पड़ी थी । और उसकी नींद खुल गई थी । यह वही आदमी था जिसे उसने दिन में देखा था । जग्गा । 

शेष अगले अंक में 

हरिशंकर गोयल "हरि"
19.3.22 

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2 Comments

Sachin dev

30-Mar-2022 09:31 PM

बहुत ही सुंदर

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

30-Mar-2022 11:48 PM

💐💐🙏🙏

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